स्मार्टफोन कैमरा
आज के दौर में स्मार्टफोन प्रयोग करने वालो की संख्या बड़ी तेज़ से बढ़ रही है। स्मार्टफोन उपभोक्ता यह चाहते है उन्हें एक ऐसा स्मार्टफोन मिले जो उनकी ज्यादा से ज्यादा मांग को पूरा करने के काबिल हो।
इसी के बीच में स्मार्टफोन का कैमरा एक ऐसी सुविधा है जो काफी चर्चित विषय बन चूका है। आमतौर पर कोई व्यक्ति स्मार्टफोन उसके प्रोसेसर, RAM और उसके कैमरा के मेगापिक्सेल को देख के खरीदता है।
पर क्या कैमरा के ज्यादा मेगापिक्सेल उसके फोटो को ज्यादा अच्छा बनाने मदद करते है।
तो इस पोस्ट में स्मार्टफोन के कैमरा से संभंधित कुछ शब्दों को जानेंगे।
Megapixel
एक megapixel में 1 मिलियन pixel होते है जो , हमें हमारे कैमरा के resolution बताता है।हर कैमरा में सेंसर होते जिसमे pixel पाया जाता है और 1 pixel फोटो खींचते वक़्त जानकारी इकठ्ठा करता है जैसे लाइट कलर जैसी चीज़े , इससे यह पता चलता है अगर ज्यादा megapixel मतलब उस फोटो को ज़ूम करने पर ज्यादा जानकारी देखने को मिलेंगी। और उस तस्वीर को उतने ही ज्यादा साइज पर प्रिंट करवाया जा सकता है।
Megapixel की जरुरत प्रिंट के लिए
Megapixles | Resolution |
---|---|
2 MP | 1600X1200 |
3 MP | 2048 X 1536 |
5 MP | 2560 X 1920 |
8 MP | 3264 X 2468 |
12 MP | 4200 X 2800 |
Sensor
कैमरा सेंसर एक मह्त्वपूर्ण भाग है कैमरा है जो पिक्चर में उसका कलर लाइट कंट्रास्ट का ध्यान रखता है
स्मार्टफोन कैमरा में सेंसर 2 प्रकार कई पाए जाते है
CMOS और BSI
आमतौर पर BSI सेंसर के पिक्चर की क्वालिटी ज्यादा सही होती है लाइटनिंग वाली फोटो भी सही मिलती है।
CMOS और BSI
आमतौर पर BSI सेंसर के पिक्चर की क्वालिटी ज्यादा सही होती है लाइटनिंग वाली फोटो भी सही मिलती है।
पर नए CMOS सेंसर भी अच्छे आ रहे है
कैमरा में सेंसर का साइज भी देखा जाता है जैसे :- 1/3.1 , 1/2.3
इसमें जो '/ ' के बाद नंबर है जो साइज बताते है सेंसर का और ये जितना कम होगा सेंसर का साइज उतना बड़ा होगा , ज्यादा साइज वाले सेंसर में pixel ज्यादा बड़े होते है और ज्यादा जानकारी देता है
Aperture
Aperture हमारे कैमरा के लेंस की फोकल लेंथ और कैमरा के शटर के साइज के साइज को दर्शाता है| Aperture कैमरा के उस शटर में साइज बताता है जिससे लाइट जाती है। कैमरा का aperture हम f -stops से पता लगाते है (ƒ/2 to ƒ/2.8, ƒ/4 to ƒ/5.8 etc) इसमें जितनी कम f -stops होंगी उतनी कैमरा ओपनिंग मिलेंगी
बड़ी कैमरा ओपनिंग से शटर होता है जिससे फोटो की stablity अच्छी बनी रहती है।
OIS
बड़ी कैमरा ओपनिंग से शटर होता है जिससे फोटो की stablity अच्छी बनी रहती है।
OIS
OIS (optical image stabalization ) स्मार्टफोन कैमरा का फीचर है जो फ़ोन के कैमरा को एक स्थिर फोटो लेने में मदद करता है। आमतौर पर कम रौशनी में ली गयी फोटो को लाइट ज्यादा नहीं मिल पाने की वजह से कैमरा का शटर बंद होने में थोड़ा टाइम लेता है जिससे फ़ोन अस्थिर होने की सम्भवना ज्यादा हो जाती है। यदि कोई फोटो लेते वक़्त हाथ थोड़ा हिल भी जाए OIS अपने कैमरा लेंस और सेंसर की स्थिति ऐसी बनता है जिससे फोटो स्थिर रहती है। OIS स्मार्टफोन में देखने को नहीं मिलती कुछ स्मार्टफोन डिजिटल OIS का प्रयोग करते है और कुछ स्मार्टफोन मैकेनिकल OIS का प्रयोग करते है जो काफी मेहना पड़ जाता है।
EIS
EIS (Electronic image stabaliztion ) EIS भी हमारे फोटो को स्थिर बनाने में सहायता करता है पर यह OIS से काफी अलग है। OIS एक तरह का हार्डवेयर फीचर है पर EIS एक सॉफ्टवेयर फीचर है जो हर फ़ोन में सोफ्ट्वरे अपडेट के द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है। EIS में क्रॉपिंग और फ्रेम शिफ्टिंग के द्वारा इमेज इमेज को स्थिर बनता है।
Focus
स्मार्टफोन के कैमरा में 3 प्रकार के फोकस पाए जाते है।
autofocus (contrast base ),face detection,laser autofocus
Autofocus जिसमे कंट्रास्ट को देख के कैमरा फोकस करने की कोशिश करता है की सब्जेट की दुरी को देखा जाता है। इसमें फोकस होने थोड़ा समय लगता है।
Face Detection auto focus चेहरे का पता लगता है और कैमरा अपने भागो को एडजस्ट करके फेस पर लॉक करते है जिससे फेस पर फोकस रखा जा सके।
Face Detection auto focus चेहरे का पता लगता है और कैमरा अपने भागो को एडजस्ट करके फेस पर लॉक करते है जिससे फेस पर फोकस रखा जा सके।
laser beam autofocus कैमरा की सहायता से एक laser की किरण भेजता है जो किसी वास्तु के टकराने से वापस उसकी इन्फ़ोर्मतिओं लाती है जो फोकस बनाने में मदद करती है। Laser beam autofocus सबसे सटीक और अच्छी तस्वीर लेने में सहायक है।
Flash
अगर कोई तस्वीर रात के समय में ली जाती है तो कम रौशनी की वजह से फोटो ख़राब हो जाती है कौर तस्वीर में सामने की वस्तु दिखाई नहीं देती है। कैमरा फ़्लैश इस वक़्त बड़े काम आता है जब कोई फोटो ली जाती है तब कैमरा के शटर स्पीड के अनुसार एक लाइट फेकती है जो फोटो को अच्छा बनती है।
स्मार्टफोन कैमरा में कई प्रकार के फ़्लैश पाए जाते है।
Xeon flash :- एक गिलास के अंदर xeon गैस भरी होती है। और उसमे हाई वोल्टेज देने पर वो तेज़ रौशनी फेकता है। ये ज्यादातर इ नोकिआ और सोनी के कुछ पुराने स्मार्टफोन में पाया जाता था। ये ज्यादा बेटरी इस्तेमाल करता है।
LED flash :-इसमें एक LED की मदद से फ़्लैश का इस्तेमाल होता है जो फोटो खींचते वक़्त ब्राइट लाइट देता है। इसे एक टोर्च की तरह इस्तेमाल में लाया जा सकता है। और यह बैटरी भी कम लेता है।
Dual LED flash :-इस फ़्लैश में बस 2 LED की मदद से फ़्लैश का इस्तेमाल होता है। इसमें LED से ब्राइट फ़्लैश है।
Dual tone :- इसमें 2 LED फ़्लैश पाया जाता है पर उसमे एक LED वार्म लाइटनिंग तो दूसरा कूल होता जो फोटो के एन्वॉयरन्मेंट को देख के फ़्लैश करता है।
Video
अगर हम कैमरा स्पेसिफिकेशन की बात करे तो वीडियो उसमे वीडियो उसमे जरुरी होता है और वीडियो तो उसमे वीडियो का resolution तो देखा जाता ही है पर साथ ही में FPS भी जरुरी होता है
FPS (Frame per second ) 1 सेकंड में कितने फ्रेम या पिक्चर सेव होते है।
आमतौर पर वीडियो का साइज उसके bitrate तय करता है।
यह सब कुछ कैमरा जिनको देख कर यह पता लगाया जा सकता है।
पर कुछ स्मार्टफोन में ये सब अच्छी होने के बावजूद कैमरा सही फोटो नहीं दे पाता यह
FPS (Frame per second ) 1 सेकंड में कितने फ्रेम या पिक्चर सेव होते है।
वीडियो रेसोलुशन
Resolution | FPS | SIZE(1 minute) |
---|---|---|
720p | 30FPS | 60MB approx. |
720p | 60FPS | 80MB approx |
1080p | 30FPS | 130MB approx |
1080p | 60FPS | 1750MB approx |
4K | 30FPS | 350MB approx |
No comments:
Post a Comment